एक्सक्लूसिव की बड़ी होड़ है भाई....
तेजी से पनपते न्यूज चैनलों ने आम आदमी के सामने एक बड़ी दुविधा पैदा कर दी है. चौबीस घंटे के चैनल न जाने किस किस दुनिया में घूमकर अपना मसाला तैयार करते हैं. कभी एलियन भी बात तो कभी ऐसे गृह की बात जो शायद आज तक किसी खगोलविद ने किसी किताब में नहीं देखा. एक्सक्लूसिव की होड़ में सारे चैनल कुछ इस कदर लग गए हैं कि उन्हें अब मीडिया की नैतिकता से कोई लेना देना नहीं. किसी घटना में कोई चैनल ३० लोगों को मृत बताता है तो कोई ५० को और बाद में माफ़ी मांगते हुए दीखते हैं. कोई कोई चैनल तो माफ़ी तक नहीं मांगते :)
एक्सक्लूसिव की ये होड़ कई बार गलत ख़बरें सम्पादित कराती है. कई बार तो भारत के क्रिकेट मैच हारने के बाद न्यूज चैनल पर ऐसी चर्चाएँ होती हैं, खिलाडियों की ऐसी भर्त्सना की जाती है जैसे उन्होंने कोई देशद्रोह कर दिया हो. साथ ही कई बार जल्दबाजी के चक्कर में गलत ख़बरें देखने को मिल ही जाती है, सवाल ये है कि एक्सक्लूसिव ज्यादा जरुरी है या फिर सही खबर??
तेजी से पनपते न्यूज चैनलों ने आम आदमी के सामने एक बड़ी दुविधा पैदा कर दी है. चौबीस घंटे के चैनल न जाने किस किस दुनिया में घूमकर अपना मसाला तैयार करते हैं. कभी एलियन भी बात तो कभी ऐसे गृह की बात जो शायद आज तक किसी खगोलविद ने किसी किताब में नहीं देखा. एक्सक्लूसिव की होड़ में सारे चैनल कुछ इस कदर लग गए हैं कि उन्हें अब मीडिया की नैतिकता से कोई लेना देना नहीं. किसी घटना में कोई चैनल ३० लोगों को मृत बताता है तो कोई ५० को और बाद में माफ़ी मांगते हुए दीखते हैं. कोई कोई चैनल तो माफ़ी तक नहीं मांगते :)
एक्सक्लूसिव की ये होड़ कई बार गलत ख़बरें सम्पादित कराती है. कई बार तो भारत के क्रिकेट मैच हारने के बाद न्यूज चैनल पर ऐसी चर्चाएँ होती हैं, खिलाडियों की ऐसी भर्त्सना की जाती है जैसे उन्होंने कोई देशद्रोह कर दिया हो. साथ ही कई बार जल्दबाजी के चक्कर में गलत ख़बरें देखने को मिल ही जाती है, सवाल ये है कि एक्सक्लूसिव ज्यादा जरुरी है या फिर सही खबर??