शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

नज़र तेरी ख़राब, बुरखा पहने नारी !!!!

पूरा देश इस वक़्त उबल रहा है. दिल्ली में हुए बलात्कार के विरोध में सभी एकजुट हुए है. सड़कों से लेकर इन्टरनेट की दुनिया तक में जबरदस्त प्रदर्शन जारी है. एक तरफ सड़कों पर सरकार के विरोध में पुतले फूंके जा रहे हैं तो फेसबुक पर काली प्रोफाइल पिक लगाकर विरोध दर्ज कराया जा रहा है. लेकिन एक सवाल मन में कौंधता है की आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है?? लड़की के छोटे कपडे??? बिलकुल नहीं... मर्दों की मानसिकता जो आये दिन इस कदर गिरती जा रही है की वो ये भूल जाते हैं उनके घर पर भी औरतें है. वो ये भूल जाते हैं की ये भारत की पवित्र भूमि है जिसके संस्कारों की शक्ति को दुनिया भर में जाना जाता है. पुरुष की मानसिकता इस सब की जिम्मेदार है. पूरे देश में एक अलग सा उबाल है जो सडकों पर केंडिल लाईट मार्च तक सीमित है. लेकिन आन्दोलन्कारिओ की इस भीड़ में ज्यादातर को चेहरा चमकाने की ललक है. वो कविरोध भी तभी जताते हैं जब कैमरे शुरू होते हैं. क्या इस तरह से सुधरेगा समाज?? चार दिन मीडिया भी एक विषय पर चर्चा करता है और एक क्रिकेट मेच होते ही सब भूल जाता है. ऐसे में इस गुस्से का भी क्या फायदा??
इसलिए पहले पुरुष मानसिकता सुधारनी होगी साथ ही ऐसे आरोपिओं के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही भी करनी होगी. 

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