सोमवार, 17 दिसंबर 2012

उद्योग जगत पर लगाम लगा रहा है प्रदेश में बढ़ता अपराध

हर रोज चाय की चुस्कियां लेते हुए अखबार खोलने से पहले ये दुआ करता हूँ की भगवान् आज तो शहर में शान्ति होगी..लेकिन नहीं, ऐसा होता नहीं है..फिर से पहले पन्ने पर वो ही लूटमार, चोरी डकेती की ख़बरें.. प्रदेश  ऐसा लगता है मानो बारूद की ढेर पर बैठा है और हमारा प्रशासढुलमुल रवैया अपनाकर चिंगारी भड़का रहा है. रविवार की शाम एक और सराफा व्यापारी को गोली मारी गयी. हैरत की बात ये है की गोली मारने की खबर क्षेत्राधिकारी को भी एक पत्रकार से मिली. पुलिस चौकी घटना के समय तो खाली थी ही और अगले आधे घंटे तक भी खाली ही रही. दो दिन पहले ही नए एसएसपी सुभाष चन्द्र दुबे ने चार्ज संभाला था . उनके पुराने काम  की चर्चा पूरा मीडिया कर रहा था. ख़ुशी थी की एक अच्छा और जांबाज अफसर शहर में आया है लेकिन वो शहर को जरा भी समझ पाते की बदमाशों ने अपनी करतूत से सबको खुली चुनौती दे दी. इससे पहले एक, दो एवं बारह दिसंबर को भी अलग अलग सर्राफा व्यापारिओं पर गोली चली थी. पुलिस उसकी ही जांच नहीं कर पायी की तब तक एक और घटना सामने आ गयी.
जनवरी में आगरा ग्लोबल इन्वेस्टर सममित करने जा रहा. लोगों को उम्मीदें हैं की देश विदेश के लोग यहाँ आकर निवेश करेंगे और नए उद्योग लगायेंगे. लेकिन एक गहरा सवाल है की जब शहर के ही व्यापारी दिन रात अपनी जान पर खेल रहे हैं. जो सुबह घर से निकलते हैं तो ये भी नहीं पता होता की रात को सही सलामात पहुंचेंगे भी या नहीं. आखिर उस शहर में कोई बहार से आकर पैसा क्यों लगाएगा??? बढ़ता अपराध निश्चित तौर से शहर के उद्योगपतिओं के पलायन का कारण तो है ही साथ ही बाहर के निवेशकों को भी दूर कर रहा है.. ऐसा ही चलता रहा तो व्यापारिओं को भी अब मजबूरन अँधेरा होने से पहले घर जाना पड़ेगा. जरूरत है जागने की..जगाने की..

राजीव गुप्ता

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