मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

क्या सचमुच फायदा दे पाएगी नकद सब्सिडी??? 

केंद्र सरकार एक और लुभावना वादा लोगों से कर रही है और अब लगभग विभिन्न सब्सिडी सीधे बैंक खाते में आया करेगी. केंद्र सरकार ने २०१३ तक इसे पूरे देश में लागू करने को कहा है. और साथ ही इसे गेम चेंजर योजना भी मान रही है. लेकिन सवाल ये है की इसका फायदा बीपीएल परिवारों को कितना होगा??
देश में वैसे ही बेंकिंग प्रणाली इतनी कठिन होती जा रही है की अगर एक पढ़े लिखे आदमी को भी बैंक में खाता खोलना होता है तो उसे कई फ़ार्म भरने पड़ते हैं और काफी औपचारिकताएं पूरी करनी होती है. और देश में शिक्षा का स्तर तो सभी को पता है. गरीब वर्ग को शिक्षा का अधिकार भी नहीं मिल पा रहा जिसके कारण एक बड़ा तबका शिक्षा से दूर है. तो क्या ऐसे वर्ग के लोग बैंक खाता सहजता से खुलवा पाएंगे?? साथ ही खाता खुलवाने के लिए बैंक गारेंटर की जरुरत पड़ती है तो ये लोग गारेंटर कहाँ से लायेंगे??
कई ऐसे गाँव है जहाँ बैंक काफी दूरी पर स्थित है. ये भी एक बड़ी समस्या है की कुछ पैसों की सब्सिडी के लिए आदमी को कई पैसे किराये भाड़े में खर्च करने पड़ेंगे.
एक गहरा सवाल ये भी पैदा होता है की घर के मुखिया सब्सिडी के पैसे को अनाज में ही खर्च करेंगे इसकी क्या गारंटी है?? अक्सर देखा गया है की परिवार के मुखिया शराब में पैसे उड़ाते हैं और मजबूरन घर की औरतों को झाड़ू पोछा करके गुजर बसर करना पड़ता है.
महंगाई आये दिन बढती रहती है लेकिन सरकार की नकद सब्सिडी फिक्स रहेगी जिससे लोगों को महंगाई का भार ज्यादा झेलना पड़ेगा.
नकद सब्सिडी फायदे से ज्यादा कुछ ऐसी जटिलताएं पैदा करती नज़र आ रही है जो आगे जाकर इस योजना को फ्लाप बना सकती है.

राजीव गुप्ता 

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