जैसे जैसे भौतिक प्रगति हो रही है, मानव अपनी मानवीय संवेदना खोता जा रहा है। उसे केवल अधिकार याद हैं कर्तव्य नहीं। आज के समय की सबसे बड़ी चुनौती इंसानियत को जिंदा रखने की है। इसके लिए लफ्फाजी नहीं अपितु समर्पण से कम करने की जरुरत है।
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