शनिवार, 20 जुलाई 2013

मनुष्य पर हावी पैसा कमाने की ललक
मुझे याद है प्राइमरी शिक्षा की पढ़ाई  के दौरान हमें भोजनावकाश में स्कूल की तरफ से दो खट्टे-मीठे बिस्कुट दिए जाते थे। बेकरी में बने इन बिस्कुटों को पानी में भिगो कर खाने का अलग ही आनंद आता था। पढ़ाई के साथ ही हम भोजनावकाश में बिस्कुट खाने को लालायित रहते थे। तब गरीब-अमीर का कोई भेदभाव नहीं था। बच्चो में दूसरे का बिस्कुट छीनने के बाद खाने की होड़ लगी रहती थी। अगर किसी दोस्त का टिफ़िन नहीं आता था तो उसके साथ बिस्कुट शेयर करके भाईचारा निभाने का अलग ही सुकून मिलता था। पढ़ाई के दौरान जैसे-जैसे आगे बढ़ते गए, खेल के बाद एक अमरुद, केला और सेव रोज मिलता था। कई बार तो एक-एक कुल्लड दूध भी मिला करता था। इसे पीने का मजा ही अलग होता था। बाद में जब एनसीसी में आये तो वंहा पर चार  पीस ब्रेड और मक्खन खाने को मिलता था। एनसीसी की वर्दी पहनने का रॊब भी अलग ही था। ये सब बचपन की बातें है। उस समय ज्ञान भी कम था। वो योजनायें college की थी या वो सरकारी थीं तब इसका भान नहीं था। तब दो बिस्कुट और एक केला जो आनंद देते थे और healthy भी थे। वो शायद सरकारी योजनाएं या पैसा कमाने की ललक में आज कहीं खो सा गया है। ये बात सोचकर दिल काँप उठता है। सभ्य मनुष्य के जीवन की तीन मूलभूत  आवश्यकता भोजन, स्वास्थ्य और शिक्षा का आज जिस तरीके से चीर हरण किया जा रहा है आसमान में द्रोपदी भी सोचती होगी कि आदि काल में मेरा चीर-हरण हुआ, अगर ये आज हुआ होता तो ये नरभक्षी देश के भविष्य के साथ पैसे के लालच में सरकारी योजनाओं द्वारा खुलेआम मौत के सौदागर बन जाते और हत्या जैसा जघन्य अपराध करके शाम को मयखाने में बैठकर पैग छलकाकर अपने कार्य और पैसों  का बखान करते। वो ये भूल जाते हैं कि उनके तरीके के इस जघन्य कृत्य से जब उनके किसी परिवार या मित्र को गुजरना पड़ता है तो वही लोग चीख पढ़ते हैं और गीता, कुरआन तथा बाइबिल की बातें करते हैं। जो लोग भोजन, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में इस तरह का जघन्य अपराध करते हैं। आज समाज को सोचना चाहिए कि  क्या ऐसे लोगो को बीच  चौराहे पर खड़ा करके उनके परिवार के साथ भी ऐसा ही कृत्य किया जाये। जो नौनिहाल जात-पात और भेदभाव से दूर हैं और जो कभी अपने परिवार की लाठी बनेंगे या देश की उन्नति में भागीदारी करेंगे। उन्हें समय से पहले  ख़राब भोजन देना भी जघन्य अपराध की ही श्रेणी चिन्हित किया जाये और हर घटनाक्रम की तरह निचले स्तर के लोगों की बलि देकर या ट्रान्सफर  करके इतिश्री नहीं कर लेनी चाहिए। जो समाजसेवक हैं उन्हें इस तरह की घटनाओं को जन सूचना के अधिकार या कोर्ट के माध्यम से उजागर करना चाहिए और सरकार में बैठे हुए इस तरह के कृत्य करने वाले मंत्रियों को सजा दिला  के एक  स्वस्थ समाज की रचना करनी चाहिए। हाल ही में बिहार में हुई मिड डे meal  की घटना मैं बे मौत मारे गए बच्चों के लिए बड़ा दुःख है। हम सभी को मिल कर उनकी आत्मा की शांति की कामना करनी चाहिए। साथ ही ईश्वर  से गुजारिश है कि भविष्य में  ऐसी घटनाएँ न हों।

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