शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

जब हम बने देश के वित्त मंत्री



कुछ सालों पहले आई अभिनेता अनिल कपूर की फिल्म नायक में उन्हें एक दिन का मुख्यमंत्री बनते हुए दिखाया था। उस फिल्म में बताया था कि कैसे एक दिन का सीएम बनकर अनिल कपूर ने समाज में व्याप्त सभी बुराइयों को दूर करने के लिए दिन-रात एक कर दिया था। उस फिल्म की याद आज जेहन में ताजा हुई तो हमारा भी मन घोटालों को रोकने, बढ़ते अपराध व यौन शोषण की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए मचल उठा.  देश में राजनीतिक भ्रष्टाचार को देखते हुए मन कहने लगा कि आज सच्चा लाल बहादुर शास्त्री बना जाये तो बढ़ती खाद्य समस्या को देखते हुए अन्न देवता बनने के सपने बुनने लगे.
आज देश की आर्थिक व्यवस्था को सुधारने के लिए मन और दिमाग ने वित्त मंत्री बनने का प्रण लिया और लग गए प्लानिंग करने के लिए। साथ ही शुरू कर दिए दिमागी घोड़े दौड़ाने। जैसे-जैसे घोड़े दौड़ते गए दिमाग वैसे-वैसे ही खुलता गया। इसी दौरान मन में ये विचार आया कि जो तुम सोच रहे हो क्या ये सही है। दिमाग ने कहा कि जब बडे़-बड़े अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री ही फेल हो गए तो तुम भी अगर फेल हो जाओगे तो क्या बड़ी बात है। जब तक सोचोगे नहीं, तब तक कैसे जीत-हार का फैसला कर सकोगे। हमने गीता का श्लोक
कर्मण्येवाधिकारस्ते, ग्लानि....
को ध्यान किया और अपनी योजनाओं को इस ब्लॉग के माध्यम से लिखना शुरू कर दिया। सारे राजनीतिक लोगों और देश के तमाम धनाढ्य लोगों का कालाधन  जो कि स्विस बैंक में जा रहा है। उसके लिए नॉमिनल टैक्स पर बांड जारी कर दें। इससे अपना पैसा अपने देश में रह जाएगा। किसी जमाने में भारत को ऐसे ही सोने की चिड़िया नहीं कहा जाता था। आज भी खनिज पदार्थों और कई अन्य बहुमूल्य पदार्थों व धातुओं की खानें हमारे देश में हैं। सबसे बड़ी खान तो देश की बढ़ती हुई जनसंख्या है। अगर हम अपने उत्पादों का निर्यात बढ़ा दें तो विदेशी मुद्रा भारत में आनी शुरू हो जाएगी। दिमाग ने तुरंत गांधीजी को प्रणाम किया कि गांधीजी की क्या दूरदृष्टि थी कि वो स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग पर फोकस करते थे और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार पर जोर। यकायक मन में पर्यावरण प्रेम जाग उठा और कहा कि अरे वाह हम तो पर्यावरण प्रेमी बन गए। साथ ही सरकारी काफिले में चलने वाली तमाम गाड़ियां ban कर दें। साथ ही देश में तीन आदमियों पर एक गाड़ी का कानून लागू कर दें।  इको व सोलर सिस्टम से चलने वाली गाड़ियों को प्रोत्साहन दिया जाए। इसके अलावा सभी बड़े शहरों को जाम से मुक्ति दिला दी जाए। इन उपायों से ये हो सकता है कि हम पेट्रोल के आयात के बजाए उसका निर्यात करने लगें और ऐसा होने पर देश में विदेशी मुद्रा के आगमन के साथ ही इसकी तरक्की में हर भारतीय का योगदान बढ़ेगा।
अरे तुम कहां सो गए यार। मृग की कस्तूरी की तरह हम यहां-वहां भटक रहे हैं। । भारत रमणीय स्थलों व पर्यटन स्थलों के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य की खान है। अगर हम पर्यटन को बढ़ावा दें, विदेशी सैलानियों को आकर्षित करें (जैसा कि दूसरे देश जहां अप्राकृतिक तरीके से पर्यटन को बढ़ावा दे रहे हैं उनके मुकाबले मार्केटिंग करें)  तो मुझे लगता है कि जिस तेजी से आज रुपया गिर रहा है, उसी तेजी से रुपया मजबूत होगा। इन तमाम उपायों से ना केवल विदेशी मुद्रा के भंडार में इजाफा होगा, अपितु हमारे देश के नागरिकों को रोजगार भी मिलेगा। ये लो भइया हम उद्योग मंत्री भी हो गए और हमने कहा कि हमारे भारतीय लघु उद्योग जो कि अभी मंदी के दौर से गुजर रहे हैं। आनन-फानन में उन उद्योगों से जुड़े लोगों से भी कह दिया कि आप अपना उत्पादन बढ़ाइये और जितना हो सके निर्यात करिए। निर्यात करने पर किसी भी तरह का टैक्स नहीं लगेगा और देश के लिए जितना हो सके उतनी विदेशी मुद्रा अर्जित करो।
दिमाग में काफी सारे विचार हैं, लेकिन कहावत है ना कि ज्यादा के फेर में थोड़े से भी आदमी चूक जाता है। इन तमाम विचारों का सार यही है कि हमने देश के गिरते हुए रुपये को थामने का प्रयास किया है और भारतीय मानसिकता की तरह खुद की पीठ खुद ही थपथपा ली और निर्णय किया कि अगले दो सालों तक विदेश यात्रा की योजना रद्द कर दी जाए। इस दरमियान देश के विभिन्न रमणीय पर्यटन व तीर्थ स्थलों की सैर बच्चों को कराई जाए।

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