भारतीय संविधान में सभी को अपनी बात कहने का हक है और मनुष्य अपने विचार व्यक्त करने के लिए तरह-तरह के उपाय करता है। कभी कविता, चित्रों, लेखन, पोस्टर तो कभी सड़क पर रैली या पदयात्रा के रूप में। अपनी अभिव्यक्ति को व्यक्त करते समय अपनी मर्यादा व शालीनता का ख्याल रखना चाहिए, लेकिन कई दफा आदमी अमर्यादित हो जाता है और न्यायपालिका के रूप में न्यायालय की शरण लेता है। आजकल मनमोहन सरकार के लिए काफी सारी अभिव्यक्तियां व्यक्त की जा रही हैं। इसी शृंखला में विश्व हिंदू परिषद ने अपने धर्म और भगवान के स्थान पर मंदिर निर्माण को लेकर 25 अगस्त से अयोध्या में 84 कोस की परिक्रमा का ऐलान किया है। इसके विरोध में प्रदेश सरकार खड़ी हो गई है। प्रदेश सरकार ने विहिप के इस आयोजन को विफल करने के लिए सारे जतन करने शुरू कर दिए। समझ में नहीं आ रहा कि ये संविधान का उल्लंघन है या वोटों की राजनीति। उत्तर प्रदेश सरकार जो कि समाजवादी पार्टी की सरकार है। होना तो ये चाहिए था कि उसे समाजवाद का उदाहरण पेश करते हुए इस पदयात्रा के लिए सहमति दे देनी चाहिए थी, लेकिन आज देश की सब व्यवस्थाएं ताक पर रख दी गई हैं। मात्र राजनीतिक लाभ और वोटों की चाहत के लिए हर पार्टी अपने-अपने तरीके से अपने वोटरों को आकर्षित या कहें कि प्रलोभित कर रही है, चाहे वो कोई भी पार्टी हो। इस रोग से कोई भी दल अछूता नहीं है।
यहां बड़ा ही सोचने का प्रश्न है कि जहां दुनिया भर में भारत की छवि एक हिंदू राष्ट्र की है, उसी देश में ये तमाम राजनीतिक दल अपनी महत्वाकांक्षा के लिए आज हिंदुओं को अल्पसंख्यक बनाने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। भारत की अखंड़ता का जिस तरीके से आज चीर हरण हो रहा है। अंग्रेजों के जमाने की प्रथा फूट डालो और राज करो का ही अनुपालन हो रहा है। सोचिए ऐसे में एक आम भारतीय की क्या दयनीय स्थिति है। इसकी परिकल्पना आप रोज करते होंगे।
मैं यहां एक ही बात कहना चाहता हूं कि हमें राष्ट्र व समाज की उन्नति के लिए तथा प्रत्येक आदमी की भावना व धर्म की सुरक्षा के लिए बिना राजनीतिक स्वार्थ के सभी को अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त कर देनी चाहिए। साथ ही अपनी आस्था भारतीय संविधान व धर्म में रखनी चाहिए। कहने का तात्पर्य ये है कि विहिप के कार्यकर्ताओं व संतों को उक्त परिक्रमा करनी चाहिए। देर रात तक भी ऐसी खबरें छन-छनकर आ रही हैं कि जगह-जगह संतों को गिरफ्तार कर उन्हें परिक्रमा करने से रोका जा रहा है। वहीं एक बात ये भी सोचने की है कि कहीं विहिप का ये कदम राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया कदम तो नहीं है।
यहां बड़ा ही सोचने का प्रश्न है कि जहां दुनिया भर में भारत की छवि एक हिंदू राष्ट्र की है, उसी देश में ये तमाम राजनीतिक दल अपनी महत्वाकांक्षा के लिए आज हिंदुओं को अल्पसंख्यक बनाने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। भारत की अखंड़ता का जिस तरीके से आज चीर हरण हो रहा है। अंग्रेजों के जमाने की प्रथा फूट डालो और राज करो का ही अनुपालन हो रहा है। सोचिए ऐसे में एक आम भारतीय की क्या दयनीय स्थिति है। इसकी परिकल्पना आप रोज करते होंगे।
मैं यहां एक ही बात कहना चाहता हूं कि हमें राष्ट्र व समाज की उन्नति के लिए तथा प्रत्येक आदमी की भावना व धर्म की सुरक्षा के लिए बिना राजनीतिक स्वार्थ के सभी को अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त कर देनी चाहिए। साथ ही अपनी आस्था भारतीय संविधान व धर्म में रखनी चाहिए। कहने का तात्पर्य ये है कि विहिप के कार्यकर्ताओं व संतों को उक्त परिक्रमा करनी चाहिए। देर रात तक भी ऐसी खबरें छन-छनकर आ रही हैं कि जगह-जगह संतों को गिरफ्तार कर उन्हें परिक्रमा करने से रोका जा रहा है। वहीं एक बात ये भी सोचने की है कि कहीं विहिप का ये कदम राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया कदम तो नहीं है।
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